मोमबत्ती आखिर कौन नहीं जानता होगा की मोमबत्ती क्या है और सन 1990 के लोगों को मोमबत्ती तो बहुत आसानी से याद होगा क्योंकि उन्होंने मोमबत्ती में पढ़ाई करी हो और उन्हीं मोमबत्ती के सामने पढ़कर बहुत सभी लोग देश की सेवा कर रहे हैं कोई सीए बनकर कोई कलेक्टर बनकर बहुत सारी ऐसी कहानियां हैं जो हमने सुनी होगी कि हम लोग मोमबत्ती के नीचे पढ़ाई किया करते थे पढ़ाई तो तब होती थी वाकई में पढ़ाई उसी को ही कहते थे एक डेडीकेशन हुआ करती थी पढ़ाई को लेकर
आजकल शहरों में 24 घंटे लाइट आती है गांव में भी काफी जगह 24 घंटे लाइट आती है तो मोमबत्ती होने अपनी एक अलग ही छाप छोड़ दी आजकल हम मोमबत्ती किसी डिनर में देखते हैं जिसे कैंडल डिनर कहते हैं मोमबत्ती दिवाली के टाइम पर भी यूज होती है और आज भी गांव में जब कभी लाइट चली जाती है तो मोमबत्ती का ही प्रयोग किया जाता है मोमबत्ती एक हमारी ऐसी जरूरत थी जो अब धीरे-धीरे विलुप्त हो रही है हालात के साथ वक्त के साथ हर किसी को बदलना पड़ता है और बदलते वक्त के साथ हालत भी बदलते हैं उनकी जरूरतें भी बदलती है अब देखना यह है कि मोमबत्ती आखिर हमारी लाइफ में कब तक रहती है और किस क्वांटिटी
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